महाकुंभ 2025: श्रद्धा और तकनीक का संगम

महाकुंभ 2025: श्रद्धा और तकनीक का संगम

महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में श्रद्धा और भव्यता का अद्भुत मिश्रण लेकर आया है। इस 45-दिवसीय आयोजन के चौथे दिन, त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस बार, सात करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में भाग लिया, और दूसरे शाही स्नान, मौनी अमावस्या पर, 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

त्रिवेणी संगम में भक्ति की डुबकी

14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर, संगम में 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाया। यहां तक कि दस देशों के 21 सदस्यीय विदेशी दल ने भी पवित्र स्नान किया और अखाड़ों में संतों के दर्शन किए।

‘संस्कृति का महाकुंभ’

16 जनवरी से 24 फरवरी तक महाकुंभ में ‘संस्कृति का महाकुंभ’ नामक विशेष आयोजन होगा। इस दौरान गंगा पंडाल मुख्य मंच रहेगा, जहां कैलाश खेर, शंकर महादेवन, और सोनू निगम जैसे प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।

भीड़ की गिनती की चुनौती

महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ की सटीक गिनती करना हमेशा से एक चुनौती रही है। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर भीड़ का सटीक आकलन करने की कोशिश की है।

AI और हाईटेक कैमरों की मदद

महाकुंभ 2025 में 1800 AI-बेस्ड हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की रियल-टाइम गिनती कर रहे हैं। ये कैमरे चेहरों को स्कैन करते हैं और भीड़ की घनत्व का आकलन करते हैं। इनमें 360 डिग्री कैमरे, 1100 स्थाई कैमरे, और 744 अस्थायी कैमरे शामिल हैं।

महाकुंभ मेला 2025 में पं. प्रदीप मिश्रा जी की कथा

ड्रोन कैमरों का भी उपयोग किया जा रहा है, जो प्रति वर्ग मीटर भीड़ के घनत्व को मापते हैं और पूरे क्षेत्र में आने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाते हैं।

पीपल फ्लो और मोबाइल डेटा का उपयोग

महाकुंभ 2025 श्रद्धा और तकनीक का संगम

श्रद्धालुओं के आने-जाने के मार्गों पर ‘पीपल फ्लो’ तकनीक के जरिए गणना की जा रही है। इसके अलावा, श्रद्धालुओं के पास मौजूद मोबाइल फोन के औसत आंकड़े को भी भीड़ की गिनती में शामिल किया गया है।

सैटेलाइट तकनीक

महाकुंभ 2025 श्रद्धा और तकनीक का संगम

पहले सैटेलाइट के जरिए भीड़ का अनुमान लगाया जाता था, लेकिन इसकी एक बड़ी खामी थी – एक व्यक्ति के बार-बार मेला क्षेत्र में आने पर उसकी गिनती कई बार हो जाती थी। इस समस्या को अब AI और अन्य तकनीकों के जरिए दूर किया जा रहा है।

ऐतिहासिक गणना के तरीके

महाकुंभ में भीड़ की गिनती का इतिहास 19वीं सदी से शुरू हुआ। अंग्रेजी शासन के दौरान, बैरिकेड्स लगाकर लोगों की गिनती की जाती थी। इसके अलावा, ट्रेन और बस टिकटों की गिनती से भी आंकड़े जुटाए जाते थे। लेकिन अब यह संख्या लाखों से बढ़कर करोड़ों में पहुंच चुकी है, और गणना के तरीके आधुनिक तकनीकों पर आधारित हो गए हैं।

तकनीक और श्रद्धा का मेल

महाकुंभ 2025 श्रद्धा और तकनीक का संगम

महाकुंभ 2025 में आने वाले 45 करोड़ श्रद्धालुओं की गिनती में तकनीक का अभूतपूर्व योगदान है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि यह आंकड़े पूरी तरह सटीक होंगे। फिर भी, AI, ड्रोन, और सैटेलाइट जैसी तकनीकें श्रद्धालुओं की संख्या का बेहतर अनुमान लगाने में मददगार साबित हो रही हैं।

महाकुंभ 2025, केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति, और आधुनिकता का एक अद्वितीय संगम है। इसने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर कैसे नए आयाम दिए जा सकते हैं।

Official Website : https://kumbh.gov.in/

Mahakumbh Mela Play store App : App Link

Facebook Page : Link

 

प्रदीप मिश्रा जी के भजन लिरिक्स

  1. ओ डमरू वाले ओ काशी वाले लिरिक्स
  2. कब से खड़े है झोली पसार क्यों ना सुने तु मेरी पुकार लिरिक्स
  3. शंकर भोलानाथ है हमारा तुम्हारा लिरिक्स
  4. तेरे डमरू की धुन सुनके मैं काशी नगरी आई हूं लिरिक्स
  5. शंभू शरणे पड़ी मांगू घड़ी रे घड़ी दुख काटो लिरिक्स
  6. डमरू वाले आजा तेरी याद सताए लिरिक्स
  7. लुटा दिया भण्डार काशी वाले ने लिरिक्स
  8. अब दया करो हे भोलेनाथ मस्त रहूं तेरी मस्ती में लिरिक्स
  9. पशुपति व्रत संपूर्ण विधि – पंडित प्रदीप मिश्रा
  10. दिल तुझको दिया ओ भोले नाथ लिरिक्स
  11. जो शिव नाम होठों पे चढ़ गया रे लिरिक्स
  12. शिव के सिवा कहीं दिल ना लगाना लिरिक्स
  13. तुम आना भोले बाबा मेरे मकान में लिरिक्स