प्रयागराज महाकुंभ 2025 के चर्चित बाबा अभय सिंह

IITian बाबा अभय सिंह की प्रेरक कहानी: विज्ञान से अध्यात्म तक का सफर

प्रयागराज महाकुंभ 2025 के चर्चित बाबा अभय सिंह

प्रयागराज महाकुंभ के चर्चित बाबा अभय सिंह ने अचानक से जूना अखाड़े के 16 मड़ी आश्रम छोड़ दिया, और उनके इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आश्रम में रहने वाले साधुओं के अनुसार, अभय सिंह लगातार मीडिया से संवाद कर रहे थे, जिससे उनका मानसिक तनाव बढ़ गया

महाकुंभ 2025: इतिहास के सबसे बड़े आयोजन की झलक

था। उन्होंने मीडिया में कुछ ऐसे बयान भी दिए, जो विवाद का कारण बन गए।

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इसी वजह से उन्होंने आश्रम छोड़ने का निर्णय लिया। उनके माता-पिता भी गुरुवार रात उन्हें खोजते हुए आश्रम पहुंचे, लेकिन तब तक वे जा चुके थे।

झज्जर से शुरू हुई सफर की कहानी

हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव में जन्मे अभय सिंह एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता कर्ण सिंह पेशे से वकील हैं और झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं। अभय का बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि थी। शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद, जब परिवार ने उन्हें कोटा भेजने की योजना बनाई, तो अभय ने दिल्ली में ही कोचिंग करने की इच्छा जताई।

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दिल्ली से कोचिंग करने के बाद अभय ने IIT का एग्जाम पास किया और IIT बॉम्बे में एडमिशन लिया। वहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया और फिर डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

कनाडा में शानदार करियर और जीवन पर आत्ममंथन

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पढ़ाई पूरी करने के बाद अभय सिंह को एक एयरोस्पेस कंपनी में नौकरी मिली। उन्होंने कनाडा में करीब दो साल तक काम किया और हर महीने तीन लाख रुपये कमाए। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान जब वे कनाडा में फंसे, तो उन्होंने जीवन को एक नए नजरिए से देखना शुरू किया।

परिवार के अनुसार, अभय पहले से ही अध्यात्म में रुचि रखते थे। लॉकडाउन ने उन्हें आत्ममंथन का अवसर दिया। इसके बाद जब वे भारत लौटे, तो अध्यात्म की ओर उनका झुकाव और गहरा हो गया।

परिवार से दूरी: 11 महीने का सन्नाटा

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अभय सिंह ने करीब 11 महीने पहले परिवार से संपर्क तोड़ लिया। परिवार का कहना है कि जब वे अभय से बात करने की कोशिश करते, तो वह कहता कि केवल जरूरी बातों के लिए मैसेज करें। छह महीने पहले जब परिवार ने जोर दिया, तो अभय ने अपने माता-पिता और बहन के नंबर तक ब्लॉक कर दिए।

उनके पिता कर्ण सिंह ने बताया कि अभय बचपन से ही शांत स्वभाव का था। हालांकि, उनके अचानक से इस तरह संन्यास लेने का निर्णय परिवार के लिए अप्रत्याशित था। पिता ने कहा, “अगर मैं उसे घर लौटने के लिए कहूंगा, तो शायद वह दुखी हो जाएगा। उसने जो निर्णय लिया है, वही उसके लिए सही है।”

शादी और व्यक्तिगत जीवन पर विचार

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मीडिया से बातचीत के दौरान अभय सिंह ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि उनकी भी एक गर्लफ्रेंड थी, और वे करीब चार साल तक साथ रहे। हालांकि, उनके मुताबिक, वे शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहते थे।

उन्होंने कहा, “मैंने मां-बाप के झगड़े देखकर ही तय कर लिया था कि शादी नहीं करूंगा। जिंदगी में वैसे ही झगड़े होते, इसलिए अकेले रहना बेहतर है।”

अध्यात्म की ओर बढ़ते कदम

अभय सिंह ने कहा कि उन्हें अब अध्यात्म में आनंद आ रहा है। वह इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अध्यात्म एक गहरी यात्रा है, जिसमें सब कुछ शिव है। शिव ही सत्य हैं, शिव ही सुंदर हैं।”

उनके अनुसार, विज्ञान और अध्यात्म का संगम ही उनकी खोज का मुख्य विषय है।

परिवार की प्रतिक्रिया

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अभय की मां उनके संन्यास लेने से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि इकलौते बेटे के इस फैसले से वह खुद को अकेला महसूस करती हैं। वहीं, उनके पिता का कहना है कि अभय ने जो रास्ता चुना है, वह उसकी अपनी मर्जी है, और वे उसे रोकने की कोशिश नहीं करेंगे।

अभय सिंह का संदेश

अभय सिंह ने मीडिया के जरिए कहा कि वह अपने परिवार से इसलिए दूर हो गए क्योंकि उनका रास्ता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण अलग था। उन्होंने यह भी कहा, “मैंने जो करना चाहा, वह परिवार को समझ नहीं आया। यही वजह है कि मैंने अपनी राह अलग चुनने का फैसला किया।”

अभय सिंह की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो पारंपरिक जीवन से अलग हटकर अपनी खुद की राह बनाना चाहते हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे आत्म-खोज और आत्मनिरीक्षण व्यक्ति को नई दिशा में ले जा सकते हैं।

अभय ने न केवल अपने करियर को छोड़कर एक नया रास्ता चुना, बल्कि विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से जीवन को समझने का प्रयास कर रहे हैं।

 

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